बेटी-जवाई (मनीषा एवं नारायण मोहता), और बेटा -बहु (अनुराग एवं रीटा सारडा, मनीष एवं अंजू सारडा) आज इस Father’s Day पर गर्व से उनके जीवन की इस प्रेरक यात्रा को दुनिया से साझा कर रहे हैं।
स्व. श्री रमेश कुमार सारड़ा
(21 सितम्बर 1947 – 15 मई 2024 )
"अंकल जी" – जिनके स्वाद, व्यावसायिक नीतियां और संस्कार आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं
शहर की भीड़ में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो हर किसी से जुड़ते हैं, हर किसी के अपने बन जाते हैं। ऐसे ही एक आत्मीय, कर्मठ
और दूरदर्शी व्यक्तित्व थे – स्व. श्री रमेश कुमार सारड़ा, जिन्हें ग्राहक, स्टाफ और वेंडर्स स्नेह और सम्मान से "अंकल जी" के नाम से जानते थे।
शिक्षा और पारिवारिक जीवन
21 सितम्बर 1947 को कलकत्ता में जन्मे रमेश जी के पिता स्व. श्री बुलाकी दास जी सारड़ा और माता स्व. श्रीमती जमुना देवी सारड़ा थे। पढ़ाई में गंभीर, उन्होंने नोपानी विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा और सिटी कॉलेज, कोलकाता से B.Com (Hons.) की डिग्री प्राप्त की।
13 मई 1973 को कानपुर निवासी श्री छगन लाल जी राठी की सुपुत्री कुसुम जी से उनका विवाह हुआ। तीनों संतानें - अनुराग, मनीष और मनीषा-आज भी उनकी दी हुई मिलनसारिता, ईमानदारी और कर्मशीलता को जी रहे हैं।