संयुक्त परिवार, ग्रामीण परिवेश, घूंघट की प्रथा
राजस्थान के चूरू जिले के छापर कस्बे में 23 मार्च 1966 को जन्मीं निर्मला जी, एक सुसंस्कारित और श्रद्धालु परिवार की गोद में पलीबढ़ीं। उनके पिता श्री मेघराज झंवर और माता श्रीमती देवकन्या झंवर ने उन्हें प्रेम, मर्यादा और विवेक से ओतप्रोत किया। उस समय बेटियों की शिक्षा को लेकर समाज में उदासीनता थी, लेकिन निर्मला जी ने अपनी लगन और तेजस्विता से 10वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी की – और यह संकेत दिया कि बेटियाँ जब ठान लें, तो कोई भी सीमा उन्हें रोक नहीं सकती।
विवाह: जहां प्रेम, धैर्य और समर्पण की नींव रखी गई
लाडनूं में 20 फरवरी 1981 को उनका विवाह सुजानगढ़ निवासी श्री द्वारका प्रसाद जी मूंदड़ा से हुआ। वे एक ऐसे परिवार में आईं, जहां परंपराएं गहराई से रचीबसी थीं – संयुक्त परिवार, ग्रामीण परिवेश, घूंघट की प्रथा। लेकिन निर्मला जी ने अपने मधुर स्वभाव, कर्मशीलता और प्रेम से न केवल इन प्रथाओं को सम्मानपूर्वक निभाया, बल्कि समय के साथ एक नई सोच का प्रवेश भी कराया।
जब परिवार 1996 में जयपुर में स्थानांतरित हुआ, तो उन्होंने आग्रह किया कि बड़े भाई श्री रामाकिशन जी मूंदड़ा दोनों भाइयों के परिवार साथ ही रहें – जिससे एकता और अपनापन बना रहे। विवाह समारोहों की व्यवस्था से लेकर रिश्तेदारों के निर्णयों तक, हर जगह उनकी सलाह को सभी ने सम्मान दिया। उनकी देखरेख में देवरानी जेठानी के आठ बच्चों के विवाह आयोजन सम्पन्न हुए – और हर समधी परिवार उनके व्यवहार और बुद्धिमत्ता से प्रभावित हुए बिना न रह सका।
उनका व्यवहार ऐसा था कि वे जिस भी रिश्ते में आईं – चाहे वह देवरानी हो, जेठानी हो, सास या ननद – हर भूमिका में उन्होंने अधिकार नहीं, स्नेह और समझदारी से अपनी जगह बनाई। वे सिर्फ परिवार की बहू नहीं, परिवार की धुरी बन गईं – हर उलझन में मार्गदर्शक, हर आयोजन की आत्मा। साधारण सी शिक्षा के बावजूद भी उन्होंने हमेशा परिवार में MBA जैसा मैनेजमेंट रखा है।
मूंदड़ा परिवार ने जयपुर में श्री राम आयल एंड केमिकल इंडस्ट्रीज के नाम से अपना अरंडी तेल के उत्पादन का उद्योग स्थापित किया जो आज पेंट इंडस्ट्री के ग्राहकों में जाना पहचाना नाम है और देश की कई कंपनियों को अपने उत्पाद सप्लाई करती है।