लूण करण जी कासट के अनुसार "ईश्वर की दी हुई अनूठी याददाश्त, कैलकुलेशन की योग्यता और प्रेज़ेन्स ऑफ़ माइंड ने बचपन में दोस्तों और परिवार में "चाचा चौधरी" का नाम दिलाया।" और अगर उनके आज के दोस्तों से पूछे तो "ये विशेषताएं आज भी जिन्दा है और सोलर मैन सिर्फ इसलिए नहीं की सोलर के फील्ड में उन्होंने बहुत कम समय में अच्छा नाम कमाया, बल्कि इसलिए की सौर्य ऊर्जा की तरह वे ऊर्जा से ओतप्रोत हैं।
बहुत आसान नहीं था - इस उम्र में भी ऊर्जा से ओतप्रोत होने का 40 साल का सफर !
विविधता पूर्ण व्यवसाय और हरेक में दिल और दिमाग लगाना - नए व्यवसाय की खोज और संघर्षों की श्रृंखला
अपने पारंपरिक व्यवसाय की सीमाओं को समझते हुए उन्होंने नए प्रयोग किए, कहीं अकेले, कहीं रिश्तेदारों के साथ कई व्यापार के प्रयास किये विशाखापट्टनम में मार्बल का व्यापार, जयपुर में गवर्नमेंट इलेक्ट्रिकल सप्लाई का काम, नॉएडा में टिम्बर-प्लाई, जयपुर में प्रॉपर्टी लाइन, इंदौर में टायर से ऑयल का प्लांट – लेकिन हर प्रयास में संघर्षों का सामना करना पड़ा। कभी स्वास्थ्य, कभी पार्टनरशिप, कभी बाजार की अनिश्चितताएं – कई बार उन्होंने शुरुआत की, उच्च सफलता और असफलता के दौर से गुजरे और फिर एक नए उत्साह के साथ नए प्रयास के लिए उठकर खड़े हुए।
प्रतिभा और सफलता का आपस में कोई तालमेल नहीं है, ये कटु सत्य अपने बड़े भाई स्व नन्द किशोर जी के जीवन से सीखा, जिन्हे वे अनूठी प्रतिभा के धनी मानते थे। उनकी उन्हें कई तकनीकी व्यवसाय में बहुत सहायता मिली पर 1999 में 10 साल चलाने के बाद प्रतिस्पर्धा के कारण इंडिकेटिंग इंस्ट्रूमेंट्स, इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक कन्ट्रोल डिवाइस इंस्ट्रूमेंट्स का व्यवसाय बंद करना पड़ा।
लूण करण जी बताते है कि "इसी दौरान 1999 में पिताजी का देहांत हुआ और 2001 में बड़े भाई का अचानक निधन हो गया।
यह मेरी जिंदगी का बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट था। मेरा स्वभाव पहले बहुत उग्र था, लेकिन इस घटना ने मुझे भीतर से बदल दिया।
जैसे मन में कोई स्थिरता आ गई हो - धैर्य और सहनशीलता बढ़ी।"
दूसरा बड़ा झटका लगा जब अगस्त 2020 छोटे भाई स्व. रामा कासट जी का कैंसर से और फिर मई 2021 में हम उम्र जीजा स्व. अनूप दम्माणी जी का असामयिक निधन हो गया और आर्थिक संकटों से उबरने के प्रयासों के दौरान वे इसे झेल नहीं पाए और उनकी स्वयं की भी अक्टूबर 2021 में क्रिटिकल बाईपास सर्जरी करवानी पड़ी। उस समय आत्मविश्वास बहुत कम हो गया था। बेटियों की शादी हो चुकी थी, सब अच्छे से हुआ, लेकिन फिर भी व्यवसायिक ऊर्जा में कमी आ गई थी। 1 साल विश्राम के दौरान मानसिक, शारीरिक और व्यवसायिक ठहराव आया लेकिन वे ईश्वर को धन्यवाद देते हैं इन घटनाओं ने परिवार को और भी नज़दीक ला दिया।
और उस दौरान दूसरा बड़ा और सकारात्मक बदलाव था कि बेटा प्रद्युम्न जो बहुत अंतर्मुखी स्वाभाव का था उसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास होने लगा। उसने लूण करण जी कि अनुभव, संपर्कों को काम में लेते हुए, उनके दिशा निर्देश में सोलर के प्रोजेक्ट लेने शुरू किये।
उस समय 10-20 KW के प्रोजेक्ट करने वाली कंपनी उनके दिशा निर्देश में प्रद्युम्न के नेतृत्व में और बेटी हर्षिता के साथ आज 40 लोगों की टीम पूरे राजस्थान में सोलर के 500 KW से अधिक साइज के टर्न की प्रोजेक्ट्स कर रही है, PM कुसुम योजना में भी बहुत काम पाइप लाइन में हैं और अब सोलर ट्रेडिंग का कार्य प्रारंभ कर दिया है । धीरे-धीरे राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश में भी व्यापार के विस्तार के प्रयास चालू हैं।