ईश्वर द्वारा दिया गया जीवन जब हम मुस्कुराकर जीते हैं, तभी हम वास्तव में उनका धन्यवाद करते हैं!

श्रीमती प्रेमलता काबरा

श्रीमती प्रेमलता काबरा

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परिस्थितियाँ नहीं, आपकी उन पर प्रतिक्रिया मायने रखती है !

जब ज़्यादातर महिलाएँ अपने जीवनसाथी के चले जाने के बाद उम्मीद खो बैठती हैं और अकेलेपन से हार मान लेती हैं, तब श्रीमती प्रेमलता काबरा जैसी महिलाएँ एक नई मिसाल पेश करती हैं। उन्होंने न सिर्फ़ खुद को सँभाला, बल्कि जीवन को फिर से उद्देश्यपूर्ण और प्रेरणादायक बना दिया।

कोरोना की दूसरी लहर में जब उनके प्रिय जीवनसाथी हरिप्रसाद जी काबरा का निधन हुआ, तो वे पूरी तरह टूट गई थीं। वह साथी जिसने जीवन भर उन्हें सहेजा, साथ घूमा, हर पारिवारिक और सामाजिक अवसर में सहभागी बना कर जीवन को रंगीन रखा, उसके जाने के बाद सब कुछ अधूरा लगने लगा।

लेकिन तभी उनके बच्चों ने उनके जीवन में नया उजाला भरने का संकल्प लिया। बेटियाँ और बेटा उनके साथ खड़े हुए और कहा –
“अगर भगवान ने आपको जीवन दिया है, तो उसे खुशी और उद्देश्य से जीना ही उनका धन्यवाद है। पापा जब तक थे, आपको हमेशा मुस्कराता देखना चाहते थे - अब भी वही चाहत होगी उनकी!”

इन शब्दों ने उन्हें हौसला दिया। उन्होंने धीरे-धीरे खुद को सामाजिक गतिविधियों में व्यस्त करना शुरू किया - भजन मंडली, गीता कक्षा, भारत विकास परिषद, और सीनियर सिटीजन ग्रुप्स में सक्रिय होकर।

आर्थिक मामलों में पहले उन्हें कभी हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं पड़ी थी, लेकिन पति के जाने के बाद उन्होंने वित्तीय समझ भी विकसित की - यह साबित करते हुए कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती

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आज वे सिर्फ़ खुद के लिए नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो जीवन के इस मोड़ पर अकेलापन महसूस करती हैं। उन्होंने दिखा दिया कि ज़िंदगी फिर से शुरू की जा सकती है।

अब वे न सिर्फ़ समाज में योगदान दे रही हैं, बल्कि स्वावलंबी भी बन गई हैं। जो पहले अपने पति पर निर्भर थीं, वे आज जरूरत पड़ने पर अकेले फ्लाइट और ट्रेन से यात्रा करती हैं और अधिकतर निर्णय खुद लेती हैं।

जिंदगी एवं परिवार में अगले बड़े बदलाव के बारे में यानि उनसे जब इकलौते बेटे हर्ष के विवाह को लेकर पूछा जाता है, तो उनका उत्तर बहुत सहज और सकारात्मक होता है
“अब इंतज़ार है बहु के रूप में बेटी का जिससे घर में रौनक आ जाये। हमें हमारे जैसे ही परिवार की लड़की चाहिए जो शिक्षित एवं मिलनसार हो, सभी रिश्तों को प्यार और सम्मान दे। हम यही चाहते हैं कि बहू को भी अपने केरियर या रचनात्मक कार्यों के लिए अवसर मिले। बेटा सक्षम और जिम्मेदार है, तो हमें और कुछ नहीं चाहिए। ”

एक बेटे और पाँच बेटियों की माँ, और पाँच दामादों की सास सभी से समान स्नेह और सम्मान प्राप्त करती हैं। परिवार समय-समय पर कुछ न कुछ आयोजन करके उनका मन बहलाता है और उनके चेहरे की मुस्कान बनाये रखता है। चाहे काबरा परिवार के उनके देवर देवरानी हो, या पीहर में सभी भाई भाभी, हरेक का उनके प्रति विशेष प्रेम है। और जहाँ संभव होता है, वहां अभी भी साथ जाते हैं।  

करनसर के जाजू परिवार में 6 April, 1957 को स्व. श्री चौथमल जाजू के जन्मी प्रेमलता जी का विवाह सांभर के काबरा परिवार में  (स्व. श्री द्वारका प्रसाद एवं रमादेवी काबरा) के पुत्र एडवोकेट श्री हरिप्रसाद जी से हुआ था।

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