आप ही के बीच उपस्थित एक प्रेरणादायक महिला शक्ति की कहानी

अपने जीवन को भरपूर और गरिमा से जियो - सरिता मोहता

श्रीमती सरिता मोहता

श्रीमती सरिता मोहता

असम की मिट्टी में जन्मी एक नन्हीं बच्ची - जिन्हें प्यार से परिवार वालों ने नाम दिया - सरिता। जिनकी आँखों में बचपन से ही कुछ अलग करने का सपना पल रहा था। बचपन में जब अन्य बच्चे खेलों में व्यस्त रहते, सरिता अपने पिता श्री गणेश मल जी सारड़ा की प्रेरणादायक बातों में खुद को ढूँढती थीं। माँ श्रीमती पुष्पा देवी सारड़ा की ममता और संस्कारों ने उनके व्यक्तित्व को गहराई दी। मूल रूप से नोखा बीकानेर के परिवार में सरिता छोटी बहन संगीता और दो भाई ओम व देवकीनंदन में मैं सबसे बड़ी थी। शुरू से सभी में बहुत स्नेह रहा और एक दूसरे के साथ खड़े रहे। 

सरिता का जीवन एक सामान्य गृहिणी तक सीमित नहीं रहा।   उन्होंने अपने सपनों को ऑनलाइन कारोबार के माध्यम से साकार किया - साड़ी, कुर्ती और घरेलू सामान बेचते हुए उन्होंने खुद की पहचान बनाई। साथ ही, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की लाइफ एडवाइजर बनकर उन्होंने वित्तीय जागरूकता की दिशा में भी कदम बढ़ाया।

25 मई 1978 को जन्मी सरिता, आज एक ऐसा नाम बन चुकी हैं जो सिर्फ पहचान नहीं, प्रेरणा है। उनकी सफलता की परिभाषा है - आत्म-संतुष्टि, सच्चाई और मूल्यों के प्रति निष्ठा।

सरिता मोहता का यह सफर यह सिखाता है कि सीमाएँ केवल सोच की होती हैं - अगर संकल्प हो, तो एक साधारण स्त्री भी असाधारण प्रेरणा बन सकती है।

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परिवार : प्रेरणा और समर्थन

सरिता का मानना है कि जब परिस्थितियाँ कठिन होती हैं तब पति श्री संजीव मोहता और परिवार का समर्थन ही उन्हें आगे बढ़ने की ताक़त देता है। उनका परिवार न केवल भावनात्मक सहयोग करता है , बल्कि उनके हर फैसले में उनके साथ खड़ा रहता है।

विवाह के बाद ससुराल में आकर भी उन्हें माता पिता जैसा ही प्यार मिला। वे अपनी सासु माँ श्रीमती पुष्पा मोहता एवं ससुर स्व बजरंग लाल जी मोहता को प्रेरणा स्त्रोत मानती है जिनकी वजह से वे अभी भी समाज सेवा में आगे रहती है। उनके परिवार के पांचो बच्चो का विशेष स्नेह और साथ हर कार्य में रहता है। 

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उनका संगठनात्मक दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक और विनम्र है। वे कहती हैं,

"चाहे पद कुछ भी हो, मैं खुद को सदैव एक कार्यकर्ता के रूप में ही देखती हूँ।"

सेवा, संगठन और नेतृत्व

सरिता संगठन और समाज सेवा में गहरी आस्था रखती हैं। उनका मानना है कि

"व्यक्तिगत उपलब्धियों से बड़ा सुख है, समाज के लिए कुछ कर जाना।"

वे माहेश्वरी महिला संगठन लखीमपुर (असम) में लगातार  9 (नौ) वर्षों तक सचिव रहीं। इसके अतिरिक्त, पूर्वोत्तर माहेश्वरी महिला संगठन की कार्यकारिणी सदस्य के रूप में सक्रिय योगदान दिया।

वर्तमान में वे जिला माहेश्वरी महिला संगठन, ज़ोन 5 की संयुक्त मंत्री हैं।

संस्कृति, राष्ट्र सेवा और आत्म-रुचियाँ

सरिता मोहता का जीवन केवल बाहरी जिम्मेदारियों से नहीं भरा है, वह भीतर से भी उतना ही समृद्ध है। 

वे दुर्गा वाहिनी - विश्व हिंदू परिषद की सह-संयोजिका (जोधपुर प्रांत) रह चुकी हैं। इसके अलावा राष्ट्र सेविका समिति की शिक्षिका भी रहीं।

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गायन, नृत्य, नाटक, मंच संचालन और पाक कला में सरिता मोहता को गहरी रुचि है। जीवन के विभिन्न आयामों पर पारिवारिक व सामाजिक सरोकारों को नियंत्रित व संतुलित करना तो कोई इनसे सीखे !

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