To read the Story of Mr.Dheeraj Mohata in English, please click here.
धीरज के अंदर एक और धीरज छुपा हुआ है जो महत्वाकांक्षी भी है और ज्ञान का भंडार भी।
जब आप धीरज मनोहर देवी मोहता से मिलते हैं, तो उनकी सहजता और विनम्रता से आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि इस चेहरे के पीछे एक ऐसी शख्सियत छुपी है, जिसने जीवन के हर मोड़ पर ना सिर्फ धैर्य रखा, बल्कि समय की कसौटी पर खुद को निखारा भी। वे उन लोगों में से हैं जो चुनौतियों से घबराते नहीं, बल्कि उन्हें अपने आत्मबल से झुकाने का माद्दा रखते हैं।
माँ की परछाईं में संवरा एक व्यक्तित्व
प्रसिद्ध समाज सेवक स्व चाँद रतन मोहता के पौत्र धीरज मनोहर देवी मोहता 9 जनवरी 1978 को सांभर में हुआ।
वे गर्व से अपने नाम के साथ अपनी माँ मनोहर देवी मोहता का नाम जोड़ते हैं — जिन्हें लोग प्यार से मीना माहेश्वरी (श्रीमाधोपुर वाले श्री लक्ष्मी नारायण जी साबू पटवारी जी की बहन) के नाम से जानते हैं।
माँ ने ही पिता और माँ दोनों की भूमिका निभाई। जयपुर आकर सिलाई-बुनाई जैसे काम कर तीनों बेटों को अच्छे स्कूल में पढ़ाया। धीरज को जीवन की यह पहली सीख अपनी माँ से मिली — संघर्ष को गले लगाओ, लेकिन कभी हार मत मानो।
शिक्षा के साथ संघर्ष और काम की शुरुआत
महज़ 20 साल की उम्र से ही पढ़ाई के साथ-साथ काम करना शुरू कर दिया। पोस्ट ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की और साथ ही CS की भी तैयारी की, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण आगे नहीं बढ़ सके। कपड़े और मेडिकल रिटेल जैसे व्यवसायों में हाथ आज़माया और अनुभव लिया। समय-समय पर व्यवसाय बदलने पड़े, पर सीखने की उनकी जिज्ञासा कभी कम नहीं हुई।