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दरगड़ परिवार – सेवा का संस्कार और समाज के लिए समर्पण
दरगड़ परिवार द्वारा समाज सेवा में दिया गया योगदान किसी प्रदर्शन या प्रशंसा की इच्छा से नहीं, बल्कि पीढ़ियों से मिले संस्कारों की सहज अभिव्यक्ति है।
श्री निर्मल दरगड़ जब अपने समाजिक योगदान की बात करते हैं, तो उनका लहजा आत्मविनम्रता से भरा होता है। उन्होंने कहा:
“समाज सेवा मेरे लिए कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि मेरे पिताजी से मिली एक शांत विरासत है। मैंने सीखा है कि सेवा में ऊंचाई की नहीं, बल्कि गहराई और पहुंच की बात होती है। मेरी महत्वाकांक्षा यह है कि समाज के पास जो संसाधन हैं, वे अधिकतम ज़रूरतमंदों तक पहुंच सकें।”
जब हमने उनसे पूछा कि वे “महत्वाकांक्षा” शब्द को सेवा में कैसे देखते हैं, तो वे मुस्कराए और बोले: “हर व्यक्ति की पहचान इस बात से नहीं होती कि उसे क्या विरासत में मिला, बल्कि इस बात से होती है कि उसने उसमें क्या जोड़ा। हमारा माहेश्वरी समाज धन-दाताओं और साधनों से समृद्ध है। अब आवश्यकता है कि हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि इन साधनों का वितरण न्यायसंगत और संवेदनशील ढंग से हो।”
MPS इंटरनेशनल के सचिव (2019–22) और श्री माहेश्वरी समाज, जयपुर के कार्यकारिणी सदस्य के रूप में, तथा श्री ओ.पी. दरगड़ फाउंडेशन के ट्रस्टी के रूप में, निर्मल जी ने यह दर्शाया है कि संस्थागत सेवा को भी उतनी ही श्रद्धा और पारदर्शिता से निभाया जा सकता है जितनी व्यक्तिगत सेवा को।
उनके पिता, स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश दरगड़ जी का जीवन भी समाजसेवा और परिश्रम का आदर्श उदाहरण रहा है। राजस्थान से असम जाकर उन्होंने किराने के व्यापार में अपनी एक सशक्त पहचान बनाई। वहां की कर्मभूमि का आभार मानते हुए उन्होंने बोंगाईगांव (असम) में श्रीराम मंदिर और साइंस कॉलेज के लिए ज़मीन भेंट की ।
बाद में जब उन्होंने आयल इंडस्ट्री की आवश्यकता को समझा, तो असम में तेल की माँग को पूरा करने के लिए राजस्थान में ही आयल मिल शुरू की - ताकि न केवल व्यापार बढ़े, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोज़गार मिल सके।