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जब कोई महिला जीवन के हर पड़ाव पर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती है - परम्परा और आधुनिकता को साथ लेकर - तो वह सिर्फ़ एक स्त्री नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन जाती है।
ज्योति सारडा एक ऐसा ही नाम है, जो रिश्तों को निभाने में, संवाद में अपनापन भरने में, और हर उम्र के लोगों से जुड़ने में अद्वितीय है।
लेखिका एवं शिक्षिका ज्योति के लेखन में रिश्तों की सजीवता झलकती है - एक ऐसा दॄष्टिकोण, जो सकारात्मकता से भरा हुआ है।
उन्होंने हर रिश्ते को उतनी ही निष्ठा और आदर से निभाया है, जितनी किसी आदर्श उदाहरण में होता है।
उनके लिए पीहर, ससुराल, समधी परिवार या मित्र समूह - कोई भी अलग-अलग खांचे नहीं हैं। वे सभी के साथ आत्मीय संबंध बनाती हैं और इसीलिए, सभी के दिलों में उनके लिए एक विशेष स्थान है।
हर शहर, एक नई संस्कृति - हर जगह अपनापन
शादी के कुछ वर्षों बाद शुरू हुआ एक नया जीवन-अध्याय - जयपुर से होते हुए देश के कई शहरों तक।
जयपुर से निकलकर उन्होंने लगभग 22 वर्षों तक अलग-अलग शहरों में रहते हुए न केवल खुद को ढाला, बल्कि हर स्थान की संस्कृति, भाषा और लोगों से गहराई से जुड़ गईं।
अहमदाबाद की गुजराती मिठास, हैदराबाद की तेलुगु ऊर्जा, और पुणे की मराठी गरिमा - सबमें उन्होंने सहज अपनापन महसूस किया और अपनी बेटियों को भी सिखाया कि विविधता को चुनौती नहीं, एक ताकत के रूप में देखा जाए।
कभी शिक्षिका, कभी सखी – बच्चों के मन की रचयिता
इंग्लिश में पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के बावजूद, उनका हिंदी से प्रेम कभी कम नहीं हुआ।
एक खास हिंदी ट्यूटर के रूप में, उन्होंने उन बच्चों में भी इस विषय के प्रति रुचि जगाई, जो पहले इसे उबाऊ मानते थे।
उनके विद्यार्थी - जिनका हिंदी से कभी कोई जुड़ाव नहीं था - आज 90+ अंक लाते हैं। ये सब संभव हुआ उनकी रचनात्मक, सहज और कथामय शैली से।
वे पौराणिक कथाओं को नए दृष्टिकोण से बच्चों तक पहुँचाती हैं और उन्हें संस्कृति से जोड़ती हैं।